नई दिल्ली। देश में कई बार बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की मांग उठती रही है। हाल ही में 2014 के लोकसभा चुनावों में हुई कथित हैकिंग का मामला सामने आने के बाद से एक बार फिर इस मांग को बल मिला है। कांग्रेस सहित कई पार्टियां ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की बात कर रही हैं। विपक्षी दलों की इस मांग को खारिज करते हुए यहां मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने दिल्ली के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि बैलेट पेपर के जमाने में वापस जाने का कोई सवाल नहीं है। चुनाव आयुक्त ने आगे कहा कि हम ईवीएम और वीवीपैट का प्रयोग करना जारी रखेंगे। हम साझेदारों के साथ ही राजनीतिक पार्टियों से हर तरह की आलोचना और फीडबैक के लिए तैयार हैं। ठीक इसी समय हम इन्हें छोड़कर बैलेट पेपर के युग में लौटने के लिए भयभीत, बुली या तंग नहीं होने वाले हैं। इससे पहले ईवीएम हैकिंग की बात सामने आने पर अरोड़ा ने कहा था कि जो पार्टियां चुनाव में हार जाती हैं वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को फुटबॉल की तरह समझती हैं। उन्होंने कहा था कि वोटिंग मशीन फुलप्रूफ हैं और कोई उनमें हेरफेर नहीं कर सकता है। ईवीएम कभी-कभार तकनीकी खामियों का शिकार हो जाती हैं जिन्हें कि ठीक कर दिया जाता है। उन्होंने कहा था कि ईवीएम में हेर-फेर करना संभव नहीं है। जहां तक इसमें साजिशन हेर-फेर करने की बात है यह पूरी तरह से फुलप्रूफ है। लेकिन दूसरे डिवाइस की तरह इसमें तकनीकी खामियां आ जाती हैं। खामियों की घटनाएं बहुत कम होती हैं। पांच राज्यों में हुए चुनाव केदौरान 1.76 लाख ईवीएम लगाई गई थीं जिसमें से केवल 6 में खामी आई। उन शिकायतों पर तुरंत ध्यान दिया गया।
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